पहला सुर- पूरे भारत का एल्बम


Track No.गीत शीर्षककलाकार
01कविता- एक नई शुरूआत
गीत- सुबह की ताज़गी
कवयित्री- रंजना भाटिया
गीतकार- सजीव सारथी
गायक- सुबोठ साठे
संगीतकार- ऋषि एस॰ बालाजी
02कविता- मकबरा हूँ मैं गीत- मुझे दर्द दे
कवयित्री- अनुपमा चौहान गीतकार- सजीव सारथी गायक- अमनदीप कौशल, जोगी सुरिन्दर संगीतकार- पेरूब
03कविता- कभी हो ऐसा
गीत- झलक
कवि- अवनीश गौतम गीतकार- सजीव सारथी गायक- सुबोध साठे
संगीतकार- ऋषि एस॰ बालाजी
04कविता- तुम अकेले नहीं
गीत- सुबह जीता हूँ
कवि- मोहिन्दर कुमार गीतकार- निखिल आनंद गिरि
गायिका- आभा मिश्रा संगीतकार- आभा मिश्रा
05कविता- वो बात जो नदी
गीत- वो नर्म सी मदहोशी
कवि- राजीव रंजन प्रसाद गीतकार- सजीव सारथी
गायका- सुबोध साठे संगीतकार- ऋषि एस॰ बालाजी
06कविता- बाज़ार जा रही हो
गीत- ये ज़रूरी नहीं
कवि- गौरव सोलंकी गीतकार- शिवानी सिंह
गायक एवं गायिका- रूपेश ऋषि एवं प्रतिष्ठा संगीतकार- रूपेश ऋषि
07कविता- होता यूँ कभी
गीत- बात ये क्या है जो

कवि- मनीष वंदेमातरम् गीतकार- सजीव सारथी गायक- निरन कुमार संगीतकार- निरन कुमार
08कविता- रुदन गीत- इन दिनों
कवि- अभिषेक पाटनी गीतकार- निखिल आनंद गिरि गायिका- आभा मिश्रा संगीतकार- आभा मिश्रा
09कविता- स्वप्न बनकर तुम न जाने
गीत- सम्मोहन
कवि- श्रीकांत मिश्र 'कांत' गीतकार- सजीव सारथी गायक- जे॰ एम॰ सोरेन संगीतकार- जे॰ एम॰ सोरेन
10कविता- करवाचौथ
गीत- तू है दिल के पास
कवि- विश्व दीपक 'तन्हा' गीतकार- सुनीता यादव गायिका- सुनीता यादव संगीतकार- सुनीता यादव एवं रविन्दर प्रधान
*सभी कविताओं में स्वर- रूपेश ऋषिमास्टरिंग- रूपेश ऋषि, संयोजन- शैलेश भारतवासी
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हिन्द-युग्म इंटरनेट पर सक्रिय एक गैर सरकारी संस्था है जो हिन्दी को तकनीक से जोड़कर भाषा को कालजयी बनाने में प्रयासरत है। हिन्द-युग्म यानी www.hindyugm.com पिछले १९ महीनों से सक्रिय इंटरनेट पर इस तरह सक्रिय है कि जो पहली बार देखता वो भी कह देता है कि यह तो हिन्दी आंदोलन है। हिन्द-युग्म एक ऑनलाइन-ऑफलाइन सेतु फिनोमिना है। हिन्द-युग्म यूनिप्रशिक्षण के माध्यम से लोगों को मुफ्त में हिन्दी टाइपिंग, ब्लॉग-मेंकिंग पर टेलीफोनिक मदद करता है। हिन्द युग्म साहित्य को कला की अन्य विधाओं से जोड़कर जन जन तक पहुँचने का पक्षधर है, तो अक्टूबर २००७ में यह निर्णय लिया गया की आने वाले पुस्तक मेले में युग्म के पहले उत्पाद के तौर पर एक संगीत एल्बम तैयार किया जाएगा जिसमें कुछ गीत और कविताओं का मिश्रण होगा, जो साहित्य और संगीत के बीच एक सेतु की तरह काम करेगा, शुरुवात हुई ओरकुट पर मिले संगीतकार ऋषि एस बालाजी (हैदराबाद) से जिन्हें युग्म के सजीव सारथी ने एक गीत भेजा, जिसकी धुन बनाने का काम उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया, उन्ही दिनों तुषार जोशी के गीत को अपनी आवाज़ देकर सुबोध साठे ( नागपुर) ने युग्म को भेजा था, सुबोध की आवाज़ को बहुत पसंद किया गया, तो उन्हीं से हिन्द-युग्म के इस पहले गीत को आवाज़ देने की गुजारिश की गई, इस तरह इंटरनेट के प्रयोग मात्र से इस नायाब काम की शुरूआत हुई, दिल्ली में लिखे गए गीत को हैदराबाद में धुन मिली और नागपुर में आवाज़, यह गीत जब हिन्द-युग्म पर आया तो बेहद कामयाब हुआ, सभी की सराहना मिली तो हौंसले और बुलंद हो गए, कुछ और संगीतकार/ गायक तलाशे गए, जिसमे पेरुब (लुधियाना), जे॰ एम॰ सोरेन (लखनऊ), निरण कुमार ( कोचीन ), लुइत भरुच ( गुवाहाटी), संदीप लक्ष्मण ( मुम्बई) , आभा मिश्रा (दिल्ली) और शुभम अग्रवाल ( मेरठ ) ऐसे मिले जिन्होंने इस उद्देश्य के लिए काम करने की इच्छा जताई, सजीव ने पेरुब, सोरेन और निरण के साथ मिलकर एक एक गीत बनाया, उसी इंटरनेट प्रक्रिया से, और इस बीच विदेश पलायन करने से पहले ऋषि एस बालाजी और सुबोध की टीम ने २ और गीत रच डाले, सुनीता यादव ने ख़ुद ही लिखे गीत को धुन में पिरो कर और आवाज़ देकर भेजा, तो निखिल आनंद गिरी ने आभा मिश्रा के साथ जोड़ी बना कर दो ग़ज़लों को स्वरबद्ध करवाया, शिवानी सिंह ने रुपेश ऋषि के साथ एक ग़ज़ल को मुक्कमल किया, इस तरह कुल १० गीत बने, शैलेश भारतवासी ने इन गीतों के मूड को ध्यान में रखकर हिन्द-युग्म के संग्रहालय से कुछ अनमोल कवितायें चुनी, दिल्ली के सुकंठ स्टूडियो में मास्टरिंग और वॉइस-ओवरिंग का काम पूरा होते ही एल्बम 'पहला सुर' तैयार हो गई, आज तक भी हिन्द-युग्म का कोई सदस्य ऋषि॰ एस॰ बालाजी, सुबोध साठे, जे एम॰ सोरेन, निरण कुमार आदि से व्यक्तिगत तौर पर नहीं मिला है, यह तकनीक का कमाल ही है, जिसने बिना मिले, बिना किसी स्टूडियो के इस्तेमाल के ही एक पूरी एल्बम की संरचना कर दी, यकीनन यह उन कलाकारों का जोश भी दिखता है, जिन्होंने निस्वार्थ भाव से अलग अलग भाषा और प्रांतों से सम्बन्ध रखने के बावजूद हिन्द-युग्म के इस प्रयास को सफल बनने में जम कर योगदान दिया, यह भी एक सुखद सच है की जितने भी संगीतकार/गायक इस प्रयास में जुड़े, उन में से यदि जे एम सोरेन और आभा मिश्रा को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर कलाकार गैर हिन्दी भाषी है, यह हिन्दी के माध्यम से पूरे भारत को एक सूत्र में बांधने के हिन्द-युग्म के प्रयास की एक बड़ी सफलता कही जा सकती है। हिन्द-युग्म पर रोज़ाना हिन्दी प्रेमियों, हिन्दी सेवकों का ताँता लगा रहता है। रोज़ाना हज़ारों-हज़ार पाठक, श्रोता www.hindyugm.com पर आते हैं।

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मीडिया में पहला सुर

प्रगति मैदान में हुआ पहला सुर का भव्य विमोचन

आम लोगों ने हाथों पहला सुर का विमोचन

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शैलेश भारतवासी
द्वारा वी के शर्मा
रूम नं॰ ३, मकान नं॰ १
जिया सराय, आई आई टी गेट के पास
हौज़ ख़ास, नई दिल्ली-११००१६


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